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Saturday, 1 November 2014
रिश्तो का क़त्ल
ये कहानी आधारित
है एक दस वर्षीया बच्ची के अपरहण पर की किस तरह उसका अपरहण उसका सगा चाचा  उसकी के घर में रह कर उसे पढ़ाने आने वाले टीचर के माध्यम से सिर्फ अपने आपसी रिश्तो में कड़वाहट आ जाने के लिए करता है और खुद नशे का लती भी है !
कहानी बच्ची के अपरहण के इर्दगिर्द घुमती है साथ में इश्वर के चमत्कारों के द्वारा बच्ची कैसे अपने माता पिता को वापस मिल जाती है और सब की असलियत कैसे सामने आती है ये सब इस लघु कथा में आप पद पायेंगे /
बस रोज़ एक पन्ना ........

रोज़ की तरह आज भी  खुशगवार मौसम था सभी रोज़ की ही तरह अपने अपने काम में व्यस्त थे घर के अन्दर एक और विजय अपने ऑफिस जाने की तैयारी कर रहा होता है वही दूसरी और अपनी बच्ची को भी स्कूल जाने के लिए तैयार कर रहा होता है और विजय की पत्नी अवंतिका रसोई में दोनों के लिए नाश्ता तैयार कर रही होती है /
अवंतिका विजय से सुनिए आप तैयार हो गए हो तो प्लीज़ स्पंदना को भी तैयार कर देना मैं बस दो मिनट में आई /
विजय अवंतिका से हा सुन रहा हु स्पंदना भी तैयार हो गई है और मैं भी नहीं तैयार है तो आपका नाश्ता श्रीमती जी ......विजय स्पंदना की और इशारा करते हुए क्यों बेटा
स्पंदना भी अपने पापा का साथ देते हुए जी पापा मम्मी तो हमेशा ही लेट ही जाती है और कहती है बस तुम लोगो की वजह से ही मुझे रोज़ देर हो जाती है और स्पंदना और विजय दोनों ताली  देकर हसने लगते  है /
अवंतिका किचन के अन्दर से ही हा मैं ही तो रोज़ देर करती हु मेरे पास कुछ काम है ही नहीं थोडा गुस्से में बोलते हुए और नाश्ता लेकर किचन से बहार आ जाती है
विजय अवंतिका की ओर प्यार से देखकर अरे डार्लिंग तुम तो बेकार में ही नाराज़ हो रही हो अवंतिका के कंधो पर हाथ रखते हुए हम तो मजाक कर रहे थे /
अवंतिका अभी भी थोडा गुस्से में हा ठीक है लेकिन अब मक्खन भी लगाने की जरुरत भी नहीं है और हसने लगती है अब जल्दी से नाश्ता कर लो नहीं तो सच में मेरी ही वजह से देर हो जाएगी
स्पंदना हा पापा  मम्मा सही कह रही है बस वाले अंकल जी भी बिलकुल इंतज़ार नहीं करते है
विजय हा हा ठीक कह रही हो स्पंदना की और इशारा करते हुए आज कल शर्मा जी भी आफिस जल्दी आ जाते है  /
चलो बेटा जल्दी चलो सभी नाश्ते की टेबल पर बैठ जाते है और नाश्ता कर के विजय और स्पंदन बाहर जाने के लिए निकलते है तभी अवंतिका विजय से की क्या आज आफिस से जल्दी आ जायेंगे शापिंग के लिए चलना था विजय क्यों शापिंग क्यों ? वो रामपुर वाले मामा जी के यहाँ शादी में जाना था विजय हा ठीक है मैं तो आ जाऊंगा लेकिन उसके लिए कुछ टैक्स तो देना ही पड़ेगा अपने गालो की और इशारा करते हुए स्पंदना थोडा सा मुस्कराते हुए अवंतिका को देखती है और अवंतिका स्पंदना को किस करते हुए विजय को किस करके कमरे की ओर चली जाती है विजय और स्पंदना दोनों अपने घर से बाइक से जा रहे होते है और अवंतिका बालकनी से दोनों को देककर बाय बाय करती है /
कहानी जारी है .........रिश्तो का क़त्ल लघु कथा 1